गुरुवार, 23 जुलाई 2009

जीवन चक्र

एक चक्र पूर्ण होता है।
या, यह आरम्भ है फिर से नए क्रम का?
खैर, जो सबसे मजेदार बात है कि
नए अर्थ उभरते हैं ,
छुपा अनजाना अहम् अचंभित करता है।
एक नए आयाम के प्रसव का दर्द
मैं भोगता हूँ , और फिर
इस नए उद्घाटन के सृजन का सुख ।
आंखों के आँसू में होठों की मुस्कान
घुलती जाती है - अजीब रंग है
सबसे अलग सबसे अनजाना
मन के परत खुलते हैं
धुंध फट जाता है - कुछ दीखता है
चक्र का कोई आरम्भ नहीं और
कहीं पूर्णता भी नहीं
बस यह सतत है
यह जीवन चक्र है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. चक्र का कोई आरम्भ नहीं और
    कहीं पूर्णता भी नहीं
    बस यह सतत है
    यह जीवन चक्र है।

    -बहुत बढ़िया!!

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