एक लम्बे समय से मैं ने ब्लॉग पर कुछ लिखा नहीं है। पिछले एक साल में काफी कुछ बदला भी है।
मेरे लिए यही बड़ी बात होगी कि मैं इस लम्बे रुके हुए क्रम को तोड़ सकूँ।और यह ब्लॉग बस इसी का प्रयास है।
ख़बरों में दिल्ली में हुई दुखद दर्दनाक घटना की गूँज हर कहीं है। अलग अलग लोग अलग अलग विचार रखते रहे हैं।Guardian इंग्लैंड का एक प्रतिष्ठित अखबार है और इसमें यहाँ के लोगों ने भी इस समाचार के उपर विस्तार से लिखा है। भारत और इसके समाज व् संस्कृति की खूब शिकायत लिखी गई है। यह खबर ही ऐसी है कि शिकायत तो होनी ही चाहिए। कई बार जब कोई दूसरा आइना दिखाए तो हकीकत और सफाई से दिखाई देता है। और मन को चोट भी गहरी लगती है।
मैंने अपनी पहचान खोता जा रहा हूँ , और मैं कहीं किसी से जुड़ा नहीं समझा जा सकता भले ही मेरे मन की हालत कुछ और हो। सच यह है की यहाँ के अखबारों में जो लिखा था उससे बहुत बुरा लगा और अपने मन की बात कहीं तो कह सकूं इस लिए आपके पास लौट आया।
खैर नया साल नई रौशनी लाये हम सबों के लिए।
प्रभावी लेखनी,
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगलमय हो,
बधाई !!
Dhanyavaad aur hardik
हटाएंजब संस्कृति अपने तत्व खोने लगे तो किसका आधार ढूढ़ें हम।
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