रविवार, 17 मई 2009

निद्रा का विज्ञान

पिछले गुरुवार को मैं समय से हॉस्पिटल तो पहुँचा था ये सोच कर की अपना काम कुशलता और समय के कुशल प्रबंधन से करूंगा। अभी पहुँचा ही था की मुलाकात कुछ कनीय सहयोगियों से हुई , और उन्होंने बताया कि प्रोफ़ेसर फ्लेमिंग उन्हें कुछ पढाने वाले हैं। मैंने भी सोचा कि चलो उन्हें सुना जाय।
बातें निद्रा के विज्ञान के बारे में थी। मैं अब तक जिन लोगों को पढ़ते सुना है, कभी भी किसीने मुझे मानसिक रूप से इतना नही झकझोरा था।

हम सभी तकरीबन अपनी जीन्दगी का १/३ समय नींद में गुजरते हैं। एक बात तो तय है कि यह बहुत जरूरी है अन्यथा क्यों सदियों से हमने इतना वक्त जाया किया है। मैं अभी एक नवजात शिशुओं के गहन चिकित्सा विभाग में कार्यरत हूँ और बात उठी कि शिशुओं को कितना सोना चाहिए और उसका क्या महत्त्व है।
मैं अब सीधे काम कि बात बताता हूँ।
हमारी नींद दो तरह ki होती है.पहली REM sleep और दूसरी NREM स्लीप। REM स्लीप के दौरान हम सपने देखते हैं और इसका महत्त्व है कि तभी स्मृति का निर्माण होता है। NREM स्लीप शरीर की रोग प्रतिरोधन क्षमता और विकास के लिए जरूरी है। अगर एक बिल्ली के बच्चे को दो दिनों के लिए REM स्लीप से वंचित किया जाय तो वह मर जाता है। अगर एक वयस्क को २-३ दिन तक REM स्लीप से वंचित रखा जाय तो वो पागल हो jataa hai. gvantamo bay aur poori duniya me iska kaideeyon par prayog hota hai.