बुधवार, 24 अगस्त 2011

उपवास




आज मैंने उपवास रखा है। मुश्किल तो नहीं पर कई बार कुछ खाने कि तीव्र इच्छा हुई। सुबह भतीजी रिया से बातें हुई और उसने बताया कैसे हर कहीं अन्ना कि बातें हो रही है और उसे भी गुस्सा था कि मनीष तिवारी ने अन्ना के बारे में बुरा बोला। मैं थोडा हैरान था कि उसे हिंदुस्तान में घटित समसामयिक बातों कि इतने जानकारी है। मैंने भी निर्णय किया कि इस आन्दोलन के समर्थन में मैं भी एक दिन का उपवास रखूंगा।




उपवास शब्द का शाब्दिक अर्थ है समीप में रहना या बैठना। शायद भूख से त्रस्त मैंने खुद को अन्ना जी के थोडा करीब पाया हो।




खैर एक बात कहूँगा कि आज सारा दिन काम पर इस बात के लिए बहुत सजग था कि मैंने कुछ ऐसा तो नहीं किया जो भ्रष्टाचार कहा जा सके जैसे सुबह कि बैठक में ८:३० कि जगह ८:३७ को पहुंचना। हस्पताल के कंप्यूटर पर इंडियन न्यूज़ पोर्टल देखना, वैसे मन सजग तो था पर मैंने ये बेईमानी की कि इंडियन न्यूज़ देखा था।




कल की सुबह कुछ खा सकूंगा इस ख्याल के साथ सो जाता हूँ। शुभ रात्रि !





शनिवार, 13 अगस्त 2011

हमारा शरीर

हम सब अपने शरीर को जानें। यह स्वस्थ रहने में हमारी मदद करता है। पढ़े लिखे लोग तो कम से कम अपने शरीर के विभिन्न अंगों और उसके कार्य को समझें। हिंदी में शरीर से सम्बंधित शब्दों का मानकी करण हो।




हमारा शरीर कोशिकाओं (cells) से बना है। कोशिका शरीर के ईमारत की ईंटें हैं। एक कोशिका जीवन की मूलभूत इकाई है। कोशिका जीवित है मगर यदि आप कोशिका को और तोड़ दें तो जो बचेगा वह जीवित नहीं है। प्रकृति में एककोशकीय जीवन बहुतायत में पाया जाता है जैसे की तमाम जीवाणु (bacteria)। हमारे शरीर की कोशिकाए एक दूसरे पर निर्भर करतीं है अतः वो स्वतंत्र रूप से जीवित नहीं रह सकती हैं।परन्तु अगर एक कृत्रिम उपयुक्त सूक्ष्म वातावरण तैयार किया जाय तो शरीर की कोई भी एक कोशिका स्वतंत्र रूप से जीवित रह सकती है और ऐसा भी संभव है की उसके विकास से पूरे शरीर की पुनर्रचना की जा सके -- इसे ही CLONING कहते है।









अब अपने शरीर की बात करें, मगर शुरू कहाँ से करें? हमारे जीवन की शुरुआत कहाँ से होती है?




पिता की एक कोशिका -शुक्राणु(spermcell) और माता की एक कोशिका अंडाणु (ovum cell) के मिलने -निषेचन से एक नयी कोशिका का निर्माण होता है -और यह नई कोशिका एक नयी जीवन की शुरुआत है। यह नई कोशिका मां के गर्भाशय - बच्चेदानी (uterus) में विभाजित और विकसित होता है। नौ महीने में यह विकसित हो कर एक नवजात शिशु के रूप में जन्म लेता है। दरअसल गर्भाधान / निषेचन के ६-सप्ताह में भ्रूण का ह्रदयh धड़कने लगता है और अब तो २३-२५सप्ताह (६ महीने) के preterm बच्चे को भी है जा सकता hai।
हम तो विकसित मानव शरीर की रचना और कार्यप्रणाली की बात करने वाले थे