जो है जैसा है उसे वैसा ही रहने दें। क्यों हल्ला उल्ला मचाना। क्यों परेशां होना। सब कुछ स्नैह स्नैहस्वतः घटित होगा।
जन्मे हैं, बढे हैं अब उतार है और फिर मर जायेंगे। क्या सुधारना है क्या सुधरना है। अगर कुछ अच्छा लगे तो कर लो न तो बस चलने दो। मत झगरो। कोई कुछ छीन लेना चाहता है तो उसे ले लेने दो। क्या हो जायेगा?
कोई नियम नहीं है।
ऐसे लोग बेकार और खराब होते हैं। ये दुनिया में कुछ जाही कर पाते हैं.
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परमहंस भाव प्राधान्य..
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