शुक्रवार, 3 जुलाई 2009
क्या आपने बच्चे में कुपोषण देखा है
हमारे देश में बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। और इसके दूरगामी परिणाम होंगे। कल बीबीसी पर चीन की आर्थिक प्रगति पर एक कार्यक्रम प्रसारित हो रहा था और ऐसा कहा जा सकता है की पिछले २० वर्षों में चीन ने extreme poverty को अपने देश से ख़त्म कर दिया है, हम इस मामले में अभी काफ़ी दूर हैं। हम सबको मिल कर कोशिश करनी चाहिए की कैसे हम अपने परिवेश में बच्चों के कुपोषण को दूर करें।एक तो वर्ग है जो अत्यधिक गरीब और समाज के सबसे नीचले पैदान पर है। उनके लिए तो सरकार को कुछ करना होगा। मगर एक वर्ग ऐसा भी है जो बहुत गरीब तो नहीं हैं मगर अन्य कारणों से उनके घर के बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। मैं जो कहना चाह रहा हूँ उसका उद्देश्य इन घर के बच्चों के कुपोषण को दूर करना है।आज मैं मुंबई में कार्यरत एक paediatrician डॉ हेमंत जोशी के विचारों से अवगत हुआ। कुपोषण के ख़िलाफ़ उन्होंने जो एक बात सुझाई है वह है -" अन्ना का कोना" - घर के अन्दर एक ऐसा चबूतरा/डलिया हो जहाँ खाने के विभिन्न सामान रखें हो और वह घर के सबसे छोटे बच्चे की पहुँच के अन्दर हो. कई घरों में माँ और पिता शिकायत करते हैं की बच्चे खाना नही खाते, लेकिन शायद अगर खाबे की चीज़ बच्चों की पहुँच में हो और उसपर उनका नियंत्रण हो तो शायद बच्चे इसमे ज्यादा रूचि दिखायेंगे।दूसरी बात है की हम बच्चे को जो भी खिलते हैं उसमे थोड़ा वसा (घी या तेल) मिलाएं। इससे खाने का स्वाद तो बढ़ता ही है और पोषण क्षमता में भी वृद्धि होती है।ये कुच्छ मूल विचार हैं जो बच्चों के पोषण के लिए मदद गार हो सकते हैं१ महँगी चीज़ खरीद कर न खिलाएं जैसे डब्बे का दूध, होर्लिक्क्स, बौर्न्विता, बूस्ट इत्यादि२ घर बे बच्चों के लिए स्वादिष्ट टिकाऊ और पोषक आहार बनायें। मूंगफली, चना , गुड और घी के साथ मिला कर कुछ भी बनायें।३ खाने की कुच्छ स्वादिष्ठ चीज़ हमेशा बच्चे की पहुँच के अन्दर हो- "अन्ना का कोना"४ जब भी कुच्छ दान करने का मन हो तो पोषक आहार खरीद कर वहाँ दें जहाँ बच्चे रहते हों - यह दान ही इश्वर और ब्राहमण को जाएगा।५ जो भी सक्षम हैं वो ऐसे ज्ञान का प्रसार करें।अंततः आप सब इस सन्दर्भ में अपने विचार और ख्यालों को इस हम सबके साथ बाटें।dhayavad
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sajag post ..............bahut bahut aabharee hai ham ki aapane jagrukta ko dhyaan me rakha
जवाब देंहटाएंbahut khub ek upyogi post, mudda gambhir hai, lekin hum aur aap abhi kar hee kya sakte hai . Abhar
जवाब देंहटाएंAapke Blog pahali baar dekha hai..... Is Aalekh me di Jaankari ke liye Shukriya......... Mere Blog par Likhe Comment ke baare me kuch kahena hai....... Isme koi Virodhabhas nahi hai Rakesh ji.... DeshBhakti to in Dono Mahanubhavo me thi..... In Dono ke Raste Alag the lekin Uddhesya ik tha.... Aur isliye Yah Dono hi Mere Aadarsh hai......Jay Hind
जवाब देंहटाएंann ka kona ek bahut badhiya concept hai. Maine ise anubhav bhi kiya hua hai. Meri chhoti bitiya prarthana khane ke prati zyada utsha dikhati hain, aur khas kar vibhinn phaloon ke liye, uski ek vazah nishchit hi fal ki tray ka easy access hai.
जवाब देंहटाएंबहुत समय पहले मेरे मन में आया था कि जेब में कुछ टाफियां रखी जायें जो राह चलते बच्चों को रेण्डम तरीके से दी जायें।
जवाब देंहटाएंकुछ बार किया भी। पर वह यूं ही डिस यूज में आ गया। अच्छा विचार यूं ही बन्द हो जाता है।
आपकी पोस्ट से फिर याद आया!
dhanyvaad. main hairaan hoon ki aapne is chitthe ko itni der se kaise dekha? mujhe achcha laga ki aapne ise padha. dhanyvaad.
जवाब देंहटाएंrakesh