शनिवार, 14 अगस्त 2010

आज़ादी की सालगिरह मुबारक हो।
आपका लेख मुझे अच्छा लगा। गाँधी जी को हमें याद रखना होगा। वो हमारी रोशनी हैं। शिवम् मिश्रा जी थोड़े नाराज़ लगे, कोई बात नहीं, बहुत सरे लोगों ने अलग अलग तरह से अपने स्टार पर बलिदान दिया है और वे सभी हमारे पूजनीय हैं, मगर देश और काल से परे जो सच्चाई है वह सत्य और अहिंसा ही है, यही भारत की आत्मा है।
आपने अंग्रेजी मानसिकता के तिरस्कार की बात की है, मगर यहाँ भी हमें कोई वैर या द्वेष का भाव नहीं रखना चाहए, - अंग्रेजी मानसिकता क्या है? शायद आप उपभोक्ता वाद के तिरस्कार की बात कर रहें/रहीं हैं। फिर मैं आपसे सहमत हूँ, मगर इसे अंग्रेजी मानसिकता कहना पूरी तरह से सही नहीं है।
और जो स्वदेशी है हम उसपर गर्व तो बगैर किसी का तिरस्कार किये भी तो कर सकते हैं।
जय हिंद

3 टिप्‍पणियां:

  1. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    सादर

    समीर लाल

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  2. आज़ादी के बहाने प्रस्तुति !

    अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व ..मुबारक हो!

    समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:

    आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html

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