बुधवार, 24 अगस्त 2011

उपवास




आज मैंने उपवास रखा है। मुश्किल तो नहीं पर कई बार कुछ खाने कि तीव्र इच्छा हुई। सुबह भतीजी रिया से बातें हुई और उसने बताया कैसे हर कहीं अन्ना कि बातें हो रही है और उसे भी गुस्सा था कि मनीष तिवारी ने अन्ना के बारे में बुरा बोला। मैं थोडा हैरान था कि उसे हिंदुस्तान में घटित समसामयिक बातों कि इतने जानकारी है। मैंने भी निर्णय किया कि इस आन्दोलन के समर्थन में मैं भी एक दिन का उपवास रखूंगा।




उपवास शब्द का शाब्दिक अर्थ है समीप में रहना या बैठना। शायद भूख से त्रस्त मैंने खुद को अन्ना जी के थोडा करीब पाया हो।




खैर एक बात कहूँगा कि आज सारा दिन काम पर इस बात के लिए बहुत सजग था कि मैंने कुछ ऐसा तो नहीं किया जो भ्रष्टाचार कहा जा सके जैसे सुबह कि बैठक में ८:३० कि जगह ८:३७ को पहुंचना। हस्पताल के कंप्यूटर पर इंडियन न्यूज़ पोर्टल देखना, वैसे मन सजग तो था पर मैंने ये बेईमानी की कि इंडियन न्यूज़ देखा था।




कल की सुबह कुछ खा सकूंगा इस ख्याल के साथ सो जाता हूँ। शुभ रात्रि !





1 टिप्पणी:

  1. उपवास रखना बहुत कठिन है, सारी ऊर्जा विचारों पर आ जाती है, असहनीय हो जाता।

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