शुक्रवार, 2 मार्च 2012

शरीर विज्ञान के मूल शब्द


आज कोई अंग विशेष से सम्बंधित न हो कर ऐसे शब्दों से शुरू कर रहा हूँ जो शरीर की मौलिक संरचना को समझने के लिए आवश्यक हैं:
  • कोशिका (सेल- cell): जैसे दीवार ईंटो  से बनी  होती  है शरीर कोशिकाओं से. कोशिका सबसे सूक्ष्म इकाई है जो जीवित होती है- जैसे अणु किसी भी पदार्थ का सूक्ष्मतम कण होता है जिसमे उसके सारे गुण विद्यमान हों. कोशिका इतनी छोटी है  की  हम उसे नंगी आँखों से नहीं देख सकते. मगर जब सूक्ष्मदर्शी (microscope) से देखें तो यह अपने आप  में एक पूरा संसार है. हमारे शरीर में सैकड़ों तरह की अलग अलग कोशिकाए होती है जो अलग अलग काम करती है. उदाहरण के तौर पर :
    • श्वेत रक्त कोशिका (white  blood  सेल)- रक्त के साथ बहती कोशिका जिसका काम संक्रमण के विरुद्ध लड़ना  है - तो यह है सबसे छोटा सिपाही/लड़ाकू.
    • न्यूरोन (neuron ) : एक बेहद खास तरह की कोशिका जिससे हमारा मष्तिष्क, मेरुदंड (spinal  chord) और नसें बनी हैं. यह शरीर के लिए एक तरह से processors  और wire  को बनाने की "ईंट" है.
    • epithelial  सेल (हिंदी शब्द मालूम नहीं): ये एक प्रकार  की बेहद   चिपटी कोशिकाए होती हैं जो आपस में मिल कर एक चादर सा बना लेती हैं जो अंगों को ढक लेता है- जैसे "प्लास्टर" दीवार को. हमारे त्वचा की सबसे बहरी परत इसी से बनी है.
कई सूक्ष्म   जीव होते हैं जिनका शरीर सिर्फ एक कोशिका का बना होता है.जैसे बैक्टेरिया , अमीबा, वायरस आदि.

शुक्राणु (स्पर्म सेल) एक खास तरह की कोशिका होती है जो एक द्रव माध्यम में गतिशील होती है. मगर आप क्या जानते हैं की   क्या खास बात है इस जीवन निर्माता कोशिका की?  उत्तर  फिर  कभी .

यह भी जानने की बात है की जब कैंसर होता है तो कहीं कोई एक कोशिका ही होती है जो विद्रोही हो जाती है और उसका विस्तार होने लगता   है.अब अलह अलग तरह की कोशिका तो अलग अलग तरह  के कैंसर!!

  • ऊत्तक (tissue ):  एक प्रकार की कोशिकाए  एक खास संरचना स्टाइल में आपस में मिलकर, एक कालोनी  जैसी    बना लेती हैं  और इसे ही उत्तक कहते हैं. तो अलग अलग उत्तक को जब सूक्ष्मदर्शी के अन्दर देखें तो उनका अलग अलग पैटर्न होता है. जब इस pattern  में गड़बड़ी होती है तो वह कैंसर की पहली निशानी होती है. उत्तक के विज्ञान को histology / histopthology कहते हैं.   



यह है चित्रकार द्वारा बनायीं तश्वीर, मगर microscope    के अन्दर अलग ही  दीखता है - ये रंग  असली  नहीं हैं, मूलतः कोशिकाएं रंगहीन होती   हैं मगर histopathologist उसे देखने के पहले उस पर रंग डाल देते हैं देखने की सुविधा  के लिए.  



तो फिर आज के लिए इतना ही. फिर मिलेंगे. खुदा हाफिज़ ! राम राम!

4 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. भूले बिसरे पाठों को दुहराने का भी एक मज़ा है!! भविष्य में इन्हें मैं सिर्फ apnatanman.blogspot.com पर ही प्रकाशित करूंगा.तत्काल थोड तकनिकी परेशानी हो रही है.धन्यवाद्.

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  2. उत्तर
    1. धन्यवाद्. आज आपकी पत्रिका पर भी आने का सुअवसर होगा.

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