मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

यहाँ की बात - लन्दन से



२० दिसम्बर



फुर्सत में हूँ तो दिल कुछ कहना चाहता है। हल्का फुल्का। फुर्सत यूं कि मैं बीमार हो गया हूँ और काम पर नहीं जा सकता। कमर और पैर में दर्द है - sciatica, कोई बुखार नहीं।



christams का माहौल है। परंपरा है सेक्रेटरी और trainee doctors को तोहफा देने की। खुद तो बाज़ार जाने की हालत में नहीं हूँ मगर अरुज, मेरा मित्र और मेरी कई परेशानियों का जवाब - कॉलेज के दिनों से हम साथ हैं- मैंने ये काम उसे ही सौंपा है। Christene के लिए chocolate का डब्बा और फूल रखने के लिए एक सजावटी गमला मगर Trainees के लिए मुश्किल था निर्णय सो W H Smith का उपहार voucher -आसान विकल्प बना। मेरे साथ ४ trainee doctors हैं - लौरा -white ब्रिटिश- मगर एक भारतीय से विवाहित- जिससे वो russia में मिली थी । उसे मालूम है की बिहार कहाँ है और हाल ही में उसका पति २ सप्ताह के लिए बिहार नेपाल के सरहद पर रक्सौल में एक missionary अस्पताल में काम करने गए थे। दिया दासगुप्ता- सिंगापूर और पुणे में समय बीतने के बाद अब यहाँ paediatrics ट्रेनिंग कर रही है। फिलिप young trainee- शायद उसके ग्रेट grandparents में कोई भारतीय मूल के थे । और आखिर में हस्सन - ये सोमालिया से विस्थापित (asylum seeker) हैं- काफी उम्रदराज - कहते हैं इनके गाँव में नरसंहार हुआ था और सिर्फ ८ लोग बचे थे - हसन उनमे से एक थे। सबको बड़े दिन की बधाइयाँ।



यहाँ दिन बहुत छोटा और ठंडा है ०-४ डिग्री centigrade- खैर अब तक बर्फ तो नहीं गिरी है ।



बाज़ार में खूब रौनक सजावट और चहल पहल है। मैं बिस्तर में पड़ा हूँ.






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