सोमवार, 27 सितंबर 2010

शैतान की परिकल्पना


madhya -पूर्व से शुरू हुए धर्मों में एक समानता "शैतान" की परिकल्पना है. इसे इंग्लिस में "SATAN the DEVIL" कहते हैं. इस्लाम में भी शैतान की कल्पना है. ओल्ड टेस्टामेंट बाइबिल का वह हिस्सा है जो ईसा मसीह के पूर्व लिखा गया था और इसमें कम और ज्यादा , यहूदी, इसाई और मुसलमान सभी यकीन करते हैं. ओल्ड टेस्टामेंट में शैतान का जिक्र इसके प्रथम अध्य्याय में ही है.भारतीय महाद्वीप से शुरू हुए धर्मों (हिन्दू, बौध, जैन, सिख) में इसके सामानांतर क्या है मैं सही सही ढूंढ नहीं पाता हूँ. अभी हाल में मुझे बाइबिल के अध्ययन का सुअवसर मिला है. और मैंने समझाने की कोशिश की कि सांस्कृतिक नहीं वरन धर्म के तत्त्वों (theology ) के आधार पर क्या फर्क है जो धर्मों के इन दो समुदाय को अलग अलग रखता है. और मुझ यह शैतान कि परिकल्पना एक मौलिक फर्क लगता है.Bible कहत है कि इश्वर ने धरती और मनुष्यों को बनाने के पहले angles (देवदूत) बनाये थे. इनमे से एक शक्तिशाली देवदूत शैतान था जो ईश्वर कि सर्वोपरि सत्ता को चुनौती देता है और विद्रोही हो जाता है. यह शैतान प्रथम मानव -युग्म आदम औए eve (हौआ) को पथभ्रष्ट करता है और उन्हें ईश्वर के दिए आदेश का उलंघन करने को प्रेरित करता है. आदम और इव ज्ञान के वृक्ष का फल खा कर ईश्वर के आदेश को भंग करते हैं और परिणामतः स्वर्ग - गार्डेन ऑफ़ एडेन से बहार निकले जाते हैं. मध्य पुर्व के धर्म मानते हैं कि ईश्वरीय शक्ति और शैतानी शक्ति कि लड़ाई अब भी चल रही है. शैतान अब भी मानव जाती को अलग अलग तरीके से बरगला रहा है और इतर धर्मों का अस्तित्व इसी का परिणाम है. यह मान्यता; मूल कारण है कि मध्य-पूर्व से उपजे धर्म इतर धर्म के लोगों को पथभ्रष्ट मानते हैं और चाहते हैं कि ये भटके हुए लोग भी "सत्य" को जाने और सच्चे धर्म को अपना लें. एक दिन ऐसा आयेगा जब इश्वर और शैतान कि यह लड़ाई ख़त्म हो जायगी, और निश्चय ही ईश्वर शैतान को नष्ट कर देंगे और साथ ही साथ उन सबको जो उसके साथ हैं (? शायद सभी वो जो सच्चे धर्म में नहीं हैं).तो मूलतः एक युद्ध है ईश्वर और सैतान के बीच और मनुष्य इसमें मोहरे हैं, जिसे समझना है और साथ देना है दोनों में से एक का. वो सारी चीजें जो हमें इश्वर से अलग करती है और उनसे दूर करती है वह शैतानी शक्ति कि चाल है.भारतीय धर्मों में ऐसी कल्पना नही है. पुराणों में राक्षस, असुर और दैत्यों का जिक्र है मगर वो ईश्वर से नहीं बल्कि देवताओं से लड़ रहे हैं. और सच कहें तो हम ऐसी किसी शक्ति में विश्वास नहीं करते जो ईश्वर से लड़ रह हो या लड़ सकता हो.भारतीय धर्मों में माया कि कल्पना है जो कि ईश्वरीय शक्ति ही है मगर वह मानवों को उलझा सकती है और जीव को ईश्वर से मिल सकने से रोकती है. बाइबिल मानता है कि सांसारिक ऐश्वर्या शैतान के अधिकार में है और शैतान इसका उपयोग मानव को ईश्वर से दूर करने में करता है. माया भी ऐसी शक्ति है मगर हिन्दू मानते हैं कि यह ईश्वर कि लीला है, शत्रु नहीं. हिन्दू मान्यता है कि माया ऐसी ईश्वरीय शक्ति है जो इस दुनिया को चलाती है. मानवीय जीवन माया के बिना संभव नहीं, क्योंकि माया के बिना माता पिता का संयोग नहीं हो सकता और फिर श्रृष्टि का क्रम ख़त्म हो जायगा. मगर जब हम मानव जीवन में आते हैं तो हमें एक अवसर मिलता है कि हम माया को जान सकें और इससे मुक्त हो कर कैवल्य या निर्वाण को प्राप्त हो सकें. परिणामतः मध्य पूर्व के धर्म में मनुष्यों को सतत एक लड़ाई लड़नी होती है एक जिहाद होता है शैतानी शक्ति और प्रभावों के विरुद्ध जबकि भारतीय धर्मावलम्बियों के लिए यह लड़ाई नहीं है, बल्कि realization है. माया हमारी या ईश्वर की शत्रु नहीं बल्कि एक प्राकृतिक शक्ति है और हमें इसका अवसर है कि हम इसमें संलिप्त हों या इसे छोड़ कर वृहत सत्य का साक्षत्कार करें.मैंने जब लिखना शुरू किया था तो उद्देश्य था कि निरपेक्ष भाव से तुलना कर सकूं और बातों को समझ सकूं. मगर अब लगता है कि शायद मैंने भारतीय धर्म के पक्ष में लिखा है. कारण है कि इस पोस्ट का उद्देश्य किसी धर्म को ऊपर या नीचे दिखाना नही है बल्कि अपनी आस्था के आधार को निश्चित करना है.मेरा ज्ञान अधूरा और कम है, अगर मेरी बातें सही न लगे और मन को दुःख पहुंचाए तो मैं क्षमा चाहूँगा.

5 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रचना पोस्ट की है ........
    .. आभार


    जाने काशी के बारे में और अपने विचार दे :-
    काशी - हिन्दू तीर्थ या गहरी आस्था....

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  2. अपनी माया के प्रति विवशता को किसी और सत्ता के मथ्थे मढ़ देने का प्रयास है यह शैतान की परिकल्पना। यह परिकल्पना प्रश्न अधिक उठाती है, निवारण कम करती है। सुन्दर ज्ञानवर्धक विवेचन।

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  3. आपका अध्ययन व्यापक है । विभिन्न दर्शनों में इस पर विवेचना की गई है । यदि हम सभी दर्शन सामने रखें तो इसके विविध रूप नज़र आते हैं । सांख्य बौद्ध और चार्वाक के दर्शन का भी पारायन करें कुछ और नये विचार मिलेंगे ।

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  4. सम्यक चिंतन. विचारोत्तेजक तुलना.

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